शैक्षिक वित्त के सिद्धांत
शैक्षिक वित्त के सिद्धांत principel of educational finance – शैक्षिक वित्त के कुछ आधारभूत सिद्धांत है जो शैक्षिक प्रबंधन को उचित वित्त नियमन तथा कुशल वित्त प्रबंध के लिए दिशा निर्देश प्रदान करते हैं। यह सिद्धांत निम्नलिखित है –
शैक्षिक वित्त के सिद्धांत
1. उत्तरदायित्व का सिद्धांत principal of responsibility
वित्त प्रबंध का उत्तरदायित्व अमूमन संस्था प्रबंध का होना है। अन्य संस्थागत कर्मचारियों की सहायता से बजट तैयार करना या बजट संबंधी रिपोर्ट तैयार करना, निरीक्षण, लेखा परीक्षण आदि कार्य प्रबंध के ही द्वारा किये जाते हैं। इन सभी वित्त संबंधी कार्यों का उत्तरदायित्व निर्वाहन प्रबंधक द्वारा ही किया जाता है।
2. सहभागिता का सिद्धांत principal of cooperation
संस्था के वित्तीय कार्यों जैसे बजट रूपरेखा बनाने तथा उसे क्रियान्वयन करने में समस्त उत्तरदायी कर्मचारियों व शिक्षकों का सहयोग लेना प्रजातांत्रिक सिद्धांतों के अनुकूल है। अतः प्रबंध को वित्त संबंधी निर्णय व कार्य अपने समूह की सहभागिता के साथ करना चाहिए। जिससे अन्य कर्मचारी भी अपने को संस्था का उत्तरदायी सदस्य समझे, उनमें कार्य संतुष्टि तथा संस्थागत लक्ष्यों के प्रति जुड़ाव व अभिवृत्ति का विकास हो सके।
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3. निष्पक्षता का सिद्धांत principal of impartiality
हमारे देश में शिक्षा का वित्त भार केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय तथा सार्वजनिक निकायों द्वारा संपन्न किया जाता है। अतः सफल वित्त प्रबंध हेतु आवश्यकता है कि वित्त आवंटन के समय इन निकायों द्वारा निष्पक्षता के सिद्धांत का पालन किया जाये जिससे समस्त शैक्षिक संस्थाओं का अधिकतम विकास संभव हो सके। संस्थागत स्तर पर प्रबंधक को भी अपने समस्त निर्णयों तथा कार्यों में निष्पक्षता के सिद्धांत को अपनाना आवश्यक है।
4. स्थायित्व का सिद्धांत principle of stability
वित्तीय कार्यों संबंधी नियमों व नीतियों के स्थायित्व होना आवश्यक है जिनका पालन प्रबंधक व अन्य कर्मचारीगण करते हैं। नियमों में स्थायित्व समस्त संस्थाओं में सरसता लाने का कार्य करता है।
5. लचीलापन का सिद्धांत principal of flexibility
वित्तीय प्रबंधन में लचीलेपन का गुण भी आवश्यक है। जिससे वित्तीय योजनाओं में समय-समय पर आवश्यकतानुसार संभावित परिवर्तन कर शैक्षिक उद्देश्यों की अधिकतम प्राप्ति संभव की जा सके।
6. पर्याप्तता का सिद्धांत principal of sufficiency
सफल वित्तीय प्रबंध हेतु सर्वप्रथम वित्त की पर्याप्तता सुनिश्चित करने का कार्य किया जाना आवश्यक है। वित्तीय प्रबंध में सभी संस्था संबंधी माननीय तत्वों जैसे प्रबंधक, शिक्षक, कर्मचारी, अभिभावक, छात्र आदि के हितों को ध्यान में रखतें हुए उपलब्ध वित्तीय संसाधनों के सदुपयोग पर विचार करना चाहिए। वित्तीय संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए उचित कदम उठाते हुए वित्त के अधिगम उपयोग को ही निर्देश के रूप में लेना आवश्यक है।
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7. प्रमाफीकरण का सिद्धांत principal of standardization
वित्तीय प्रबंध में लेखा परीक्षण का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है यह सभी वित्तीय कार्यों का निरीक्षण करने का कार्य करता है। वित्तीय प्रबंध में प्रमापीकृत लेखाकार्य वित्त नियंत्रण का कार्य करता है अतः प्रमाणीकरण प्रक्रिया का प्रबंधन में होना बहुत आवश्यक है।