अधिगम का अर्थ: परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त
अधिगम का अर्थ (Meaning of learning)
अधिगम का अर्थ : अधिगम अथवा सीखना एक सतत चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया है। व्यक्ति जन्म से सीखना प्रारम्भ कर देता है तथा मृत्युपर्यंत कुछ न कुछ सीखता रहता है। सीखने की प्रक्रिया के लिए किसी निश्चित स्थान अथवा परिस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है वरन् व्यक्ति कहीं भी किसी भी परिस्थिति, किसी से भी, किसी भी समय, कुछ भी सीख सकता है। सीखने के फलस्वरूप ही मानव अपने व्यवहार का परिष्कार करता है। सीखना या अधिगम प्रक्रिया तथा परिणाम दोनों के लिए प्रयोग किया जाता है। प्रक्रिया के रूप में अधिगम सीखने वाले के अनुभवों, उसकी आन्तरिक तथा बाह्य क्रिया तथा उसकी अपनी परिस्थिति के प्रतिक्रियाओं का उल्लेख करता है। प्रक्रिया के परिणाम के रूप में अधिगम व्यवहार परिवर्तनों का उल्लेख करता है। ये व्यवहार परिवर्तन स्थायी एवं अस्थायी दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
सीखने या अधिगम की परिभाषाएँ (Definitions of Learning)
गेट्स के अनुसार, “अनुभव तथा प्रशिक्षण के द्वारा व्यवहार का उन्नयन अधिगम है।”
वुडवर्थ के अनुसार “नवीन ज्ञान एवं अनुक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया अधिगम प्रक्रिया कहलाती है।”
क्रॉनबैक के अनुसार, “अधिगम अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन द्वारा प्रदर्शित होता है।”
स्किनर के अनुसार, “अधिगम व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है।”
हेनरी स्मिथ के अनुसार, “अनुभव के प्रतिफल के रूप में नए व्यवहार का अर्जन अथवा पुराने व्यवहार का सुदृढ़ीकरण या निर्बलीकरण अधिगम है।”
क्रो एवं क्रो के अनुसार, “अधिगम का काम आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन करना है।”
किम्बले के अनुसार, “पुनर्बलित अभ्यास के फलस्वरूप व्यवहारजन्य क्षमता में आने वाले अपेक्षाकृत स्थायी प्रकृति का परिवर्तन अधिगम है।”
जे.पी. गिलफोर्ड के अनुसार, “व्यवहार का कारण परिवर्तन अधिगंम है।”
कॉलविन के अनुसार, “पहले के निर्मित व्यवहार में अनुभवों द्वारा हुए परिवर्तन को अधिगम कहते हैं।”
प्रेसी के अनुसार, “अधिगम एक अनुभव है, जिसके द्वारा कार्य में परिवर्तन या समायोजन होता है तथा व्यवहार की नवीन विधि प्राप्त होती है।”
बनहर्ट के अनुसार, “सीखना व्यक्तिं के कार्यों में एक स्थायी परिवर्तन लाना है जो निश्चित परिस्थितियों में किसी उद्देश्य या लक्ष्य को प्राप्त करने अथवा किसी समस्या को सुलझाने के प्रयास में अभ्यास द्वारा किया जाता है।”
किंग्सले एवं गैरी के अनुसार, “अभ्यास तथा प्रशिक्षण के फलस्वरूप नवीन तरीके से व्यवहार (अपने विस्तृत अर्थ में) करने अथवा व्यवहार में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया को सीखना कहते हैं।”
उपरोक्त परिभाषाओं के विश्लेषण से स्पष्ट है कि-
1. अधिगम कोई परिणाम न होकर प्रक्रिया है।
2. अधिगम व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया है।
3. अधिगम लगभग स्थायी प्रकार का व्यवहार परिवर्तन है।
4. अधिगम की प्रक्रिया सार्वभौमिक होती है।
5. अधिगम सदैव उद्देश्यपूर्ण होता है।
6. अधिगम अभ्यास, प्रशिक्षण तथा अनुभव पर आधारित होता है।
7. अधिगम का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है इसमें मानव व्यवहार के सभी क्षेत्र, यथा- ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक समाहित रहते हैं।
अधिगम की प्रकृति (Nature of Learning)
अधिगम एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। अधिगम की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं तथा अनेक अधिगम सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। इसके आधार पर अधिगम की प्रकृति की व्याख्या की जा सकती है-
1. अधिगम प्रक्रिया तथा परिणाम है (Learning is Process & Product) : अधिगम प्रक्रिया द्वारा विद्यार्थी नए अनुभवों, व्यवहारों तथा तथ्यों, प्रत्ययों तथा सिद्धान्तों को अर्जित करता है। यह अधिगम के परिणाम भी माने जाते हैं।
2. व्यवहार परिवर्तन अधिगम है (Learning is the Modification of Behaviour): क्रियाओं तथा अनुभव से जो व्यवहार परिवर्तन होता है उसे अधिगम की संज्ञा दी जाती है।
3. अधिगम मानव की एक प्रकृति है (Learning is the Tendancy Human Beings) : मानव में वस्तुओं के सम्नन्ध में क्या उत्सुकता रहती है तथा क्यों? प्रश्नों के उत्तर को जानने की इच्छा रहती है। इसी जानकारी को अधिगम कहते हैं।
4. अधिगम मानसिक क्षमताओं के विकास की एक प्रक्रिया है (Learning is a Process of Mental Development) : ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों के विकास के लिए अधिगम प्रक्रिया की जाती है। अधिगम के यही तीन उद्देश्य हैं।
5. अधिगम सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार का होता है (Learning is Both Positive and Negative): अधिगम में व्यक्ति ऐसे व्यवहारों को अर्जित करता है, जिन्हें समाज मान्यता देता है और ऐसे व्यवहारों को भी अर्जित करता है, जिन्हें समाज मान्यता नहीं देता है। शिक्षण में सकारात्मक व्यवहारों को सही विकसित किया जाता है।
6. अधिगम एक सतत् प्रक्रिया है (Learning is a Continuous Process) : अधिगम प्रक्रिया उद्दीपन अनुक्रिया सम्बन्ध से चिन्तन प्रणाली तथा समस्या समाधान पर चलती है।
7. अधिगम एक सामाजिक प्रक्रिया भी है (Learning is also a Social Process): बालक समाज, परिवार तथा अपने बड़ों के कार्यों को देखकर समाज की अनेक बातों को सीख लेता है। जिसे सामाजिक अधिगम (social learning) कहते हैं। अधिगम प्रत्यक्षीकरण तथा नकल द्वारा होता है।
8. अधिगम एक विवेकपूर्ण क्रिया है (Learning is an Intelligent Activity) : यह एक यांत्रिक क्रिया नहीं है अपितु एक विवेकपूर्ण क्रिया है। अधिक बुद्धिमान व्यक्ति जल्दी तथा अधिक सीखता है जबकि कम बुद्धि वाले व्यक्ति देर से तथा कम सीख पाते हैं।
9. अधिगम का अपना स्वरूप होता है (Learning has its Own Structure) : रॉबर्ट गेने ने अधिगम के आठ स्वरूपों का विवेचन क्रिया तथा डेनीज ने उनमें से पाँच स्वरूपों का शिक्षण प्रक्रिया में प्रयोग किया है। इनका विस्तार अधिगम अनुक्रिया से लेकर समाधान तक चलता है।
10. अधिगम एक समायोजन प्रक्रिया है (Learning is a Process of Adjustment): अधिगम से व्यक्ति में समायोजन की क्षमताओं का विकास होता है। व्यक्ति अपने ज्ञान से परिस्थिति में समायोजन जल्दी कर लेता है।
11. अधिगम एक समस्या समाधान की प्रक्रिया है (Learning is a Problem Solving Process) : जीवन की समस्याओं का समाधान व्यक्ति अपने पूर्व अनुभवों की सहायता से करता है। पूर्व अनुभव व्यक्ति का अनुभव होता है। अधिगम समस्या समाधान में सहायक होता है।
अधिगम के सिद्धान्त (Theories of Learning)
अधिगम व्यवहार का महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक पक्ष है। पशुओं में सीखने की प्रक्रिया, मानव में सीखने की प्रक्रिया से अपेक्षाकृत सख्त होती है। अतएव मनोवैज्ञानिकों ने पशुओं पर शोध करके यह जानने की कोशिश की है कि अधिगम के वास्तविक स्रोत क्या है तथा इससे प्राप्त किए गए तथ्यों के आधार पर कुछ अधिगम सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है।
सीखने या अधिगम के प्रमुख सिद्धान्त निम्नांकित हैं-
1. थार्नडाइक का प्रयास व त्रुटि का सिद्धान्त
2. पावलॉव का शास्त्रीय अनुबन्धन का सिद्धान्त
3. स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धान्त
4. हल का प्रबलन सिद्धान्त
5. अधिगम का अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त
6. बंडुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धान्त