प्रतिभाशाली बालक (Gifted Children)
प्रतिभाशाली बालक (Gifted Children)
प्रतिभाशाली बालक की परिभाषाएँ
बात को समझने तथा स्मरण रखने की शक्ति अथवा धारणा शक्ति को मेधा कहते हैं। जिसकी समझ सकने की धारणा शक्ति तीव्र हो उसे मेधावी कहते हैं। प्रतिभा, असाधारण मानसिक शक्ति का पर्याय है। प्रतिभावान उसे कहते हैं जो असाधारण मानसिक योग्यता वाला हो।
प्रतिभाशाली बालकों के बारे में अनेक मनोवैज्ञानिकों ने अपने मत व्यक्त किये हैं। इनमें से कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार है
पॉल विट्टो के अनुसार, “प्रतिभाशाली वे होते हैं जो किसी कार्य में निरन्तर उच्च स्तर बनाये रखते हैं।”
टरमन तथा ओडन के अनुसार, “प्रतिभाशाली बालक शारीरिक गठन, सामाजिक समायोजन, व्यक्तित्व के लक्षणों, विद्यालय उपलब्धियों, खेल सूचनाओं तथा रुचियों में औसर बालकों से उच्च होते हैं।”
प्रेम पसरीचा के अनुसार, “प्रतिभावान बालक वह है, जो सामान्य बुद्धि की दृष्टि से श्रेष्ठ प्रतीत हो अथवा वह है जो उन क्षेत्रों से जिनका अधिक बुद्धि-लब्धि से सम्बन्धित होना आवश्यक नहीं है, उच्च कोटि की विशिष्ट योग्यताएँ रखता है।”
प्रतिभाशाली बालक की पहचान
उपर्युक्त परिभाषाओं तथा विद्वान् व्यक्तियों ने प्रतिभाशाली बालक (Gifted Children) की पहचान के लिए कुछ संकेत दिए हैं जो कि निम्नांकित हैं-
1. उच्च बुद्धि-लब्धि उपागम (Approach) : इस उपागम में काफी अन्तर या विभेदकता है। टरमन मानते हैं कि 140 से अधिक बुद्धि-लब्धि वाले बालक प्रतिभाशाली होते हैं, जबकि कुछ अन्य मनोविज्ञानी 120 से अधिक बुद्धि- लब्धि वाले बालकों को प्रतिभाशाली मानते हैं। मैरिल 120 से 139 तक बुद्धि- लब्धि वालों को श्रेष्ठ तथा 140 से अधिक बुद्धि-लब्धि वालों को अत्यन्त श्रेष्ठ (Very superior) माना है। कहने का तात्पर्य यह है कि 120 से अधिक बुद्धि-लब्धि वाले बालकों को प्रतिभाशाली माना जा सकता है।
2. उपलब्धि परीक्षण : उपलब्धि परीक्षणों में मेधावी बालक आमतौर पर उच्च अंक प्राप्त करते हैं लेकिन यदि वे अध्ययन की ओर रुचिशील नहीं है तो उनकी उपलब्धि उच्च स्तर की हो यह आवश्यक नहीं है।
3. सम्बन्धित परीक्षण : प्रतिभाशाली बालकों से सम्बन्धित व्यक्तियों की सूचनाएँ भी उनके पहचानने में सहायक हो सकती हैं। शिक्षकों को प्रायः प्रतिभाशाली बच्चों के बारे में कक्षा शिक्षण के दौरान विदीत हो जाता है कि कक्षा में कौन- सा बालक प्रतिभावान है।
4. एन्न अनासतासी : जो कुछ आवश्यक है उस पर अधिकार करने वाला प्रतिभाशाली होता है।
5. क्रेशमेर : सच्ची प्रतिभा के लिए विशिष्ट योग्यता ही पर्याप्त नहीं है। वे लिखते हैं कि यदि मनोरोगमय तत्व की ओर विचार करें तो Demonic Unrest (पैशाचिक अधीरता) तथा मनोतनाव के मिश्रण को प्रतिभा के संघटन से निकाल दें तो प्रतिभाशाली साधारण योग्यता का मानव ही रह जाता है। पैशाचिक अधीरता के सम्बन्ध में थोड़े स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। पश्चिमी जगत् में मान्यता है कि शैतान और फरिश्ता दो ऐसी शक्तियाँ हैं जो मानव जाति को अच्छे तथा बुरे कर्म करने को प्रेरित/बाध्य करती हैं। शैतान फरिश्ते के मुकाबले अपने कार्य मानव को दुष्कर्मों के लिए प्रेरित करने में अपने कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित करते हैं। वे तब तक अधीर रहते हैं जब तक अपना कार्य पूर्णरूपेण न कर लें। इसे Demonic Unrest कहते हैं। अर्थात् शैतान की तरह पूरी लगन से कार्य करना।
6. लेंग इकबाम ने 200 व्यक्तियों के अध्ययन के बाद निष्कर्ष रूप में 1600 पृष्ठों पर अपने निष्कर्ष लिखे। उनका कहना है कि जिन्हें मानसिक अपसामान्यता नहीं हुई ऐसे प्रतिभाशाली कम ही होते हैं। साधारण व्यक्तियों में 0.5 प्रतिशत व्यक्ति ही मनोरोगी होते हैं जबकि प्रतिभाशालियों में यह अनुपात 12 से 13 प्रतिशत तक होता है। वे जीवन में कम से कम एक बार मनोविक्षिप्त अवश्य हुए। ये तोड़-फोड़, जोड़-तोड़ के शिकार होते हैं। तिल को झाड़ बना देते हैं
7. अन्य गुण : प्रतिभाशाली बालक (Gifted Children) में उपर्युक्त गुणों के साथ अन्य भी कुछ गुण पाए जाते हैं। ये गुण निम्नांकित हैं-
1. इनका शब्द ज्ञान विस्तृत होता है।
2. इनकी रुचि विस्तृत होती है।
3. इनका चिन्तन मौलिक होता है।
4. ये अर्थग्रहण करने में सक्षम होते हैं।
5. ये अमूर्त चिन्तन (Abstract Reasoning) कर सकते हैं।
6. इनकी महत्त्वाकांक्षा उच्च स्तर की होती है।
7. इनका प्रस्तुतीकरण मौलिक होता है।
8. इनमें अलग रहने की प्रवृत्ति होती है।
9. ये आसानी से कंठस्थ कर लेते हैं।
10. ये रटने में विश्वास नहीं रखते।
11. कठिन कार्यों को करने में निपुण होते हैं।
12. इनमें अन्तर्दृष्टि (सूझ Insight) पाई जाती है।
13. सामान्य अध्ययन में रुचि होती है।
14. सामान्य ज्ञान का स्तर उच्च होता है।
15. ये निर्देशों का शीघ्र पालन करते हैं।
16. पैशाचिक अधीरता का पाया जाना।
17. विद्यालय के कार्यों में कई बार अरुचिशील होते हैं।
18. अतिरिक्त पुस्तकें पढ़ते हैं।
19. किसी घटना का निरीक्षण तुरन्त देते हैं।
20. सामान्य बुद्धि का प्रयोग करते हैं।
21. प्रतिभाशालियों में कुछ मात्रा में समायोजन का अभाव पाया जाता है।
22. इनकी दोस्ती अपनी आयु से अधिक आयु वाले बालकों से होती है।
23. ये प्रश्नों का उत्तर तुरन्त देते हैं।
24. ये सुझाव देने में पहल करते हैं।
25. ये अपनी कमियों को पहचानते हैं।
प्रतिभाशाली बालक की समस्या
प्रतिभाशाली बच्चों में कुछ अवगुण भी पाए जाते हैं-
1. ये स्पष्टवादी होते हैं। समय स्थान परिस्थिति के अनुकूल कार्य न करके कई व्यक्तियों से बेमतलब मनोमालिन्य पैदा कर सकते हैं।
2. ये छोटी बात को बड़ी कर देते हैं तिल का ताड़ बना देते हैं।
3. इनमें आलोचना करने की प्रवृत्ति का विकास हो सकता है।
4. कई बार इनका समायोजन अच्छा नहीं होता।
5. कई बार ये उच्च स्तर के फ्रोड हो जाते हैं इनकी जालसाजी का स्तर उच्च होता है।
6. ये तोड़-फोड़ करने में निपुण होते हैं। ये केवल तोड़-ड़ जैसे कार्यों की केवल प्लानिंग करते हैं परन्तु हानि के समय उपस्थित नहीं रहते। आन्दोलनों में ये अग्रणी रह कर लाभ कमाने की सोचते हैं। किसी का हित-अहित सोचना इनके लिए दूर की बात होती है। ये स्वलाभ का सिद्धान्त अपनाते हैं।
7. येन-केन प्रकारेण सफलता का अर्जन करने के लिए प्रेरित रहते हैं।