तर्क के सोपान
तर्क की सोपान – जॉन डीवी ने अपनी पुस्तक – How we think’ के अंतर्गत तर्क के पांच सोपान बताये हैं-
1.समस्या की उपस्थिति/समस्या की पहचान (Presence of Problem):-
किसी समस्या की उपस्थिति से तर्क का आरंभ होता है। समस्या उत्पन्न होने पर ही व्यक्ति उसके बारे में सोचने समझने के लिए बाध्य होता है।
2.समस्या की जानकारी/आंकड़ों का संग्रहण (Comprehension of a Problem ):-
व्यक्ति समस्या का पूर्ण रूप से अध्ययन करता है।
इससे उसके बारे में उसे पूरी जानकारी होती है और वह उससे संबंधित तथ्यों को एकत्रित करता है।
3. समस्या समाधान के उपाय/अनुमान लगाना (Methods of Solving the Problem):-
समस्या से संबंधित एकत्र किए गए तथ्यों की सहायता से समस्या समाधान के लिए विभिन्न उपायों पर विचार करता है।
4. एक उपाय को अपनाना/एक अनुमान का प्रयोग करना (Selection of one method):-
व्यक्ति समस्या समाधान के लिए विभिन्न उपायों के औचित्य पर पूर्ण रूप से विचार करता है
तथा उनमें से एक उचित उपाय का चयन करता है।
5. उपाय का प्रयोग/निर्णय करना (Application of the Method):-
व्यक्ति समस्या के समाधान के लिए उपाय का प्रयोग करता है तथा निर्णय पर पहुंचता है।
जैसे :-
मां जब बच्चे को रोता देखती है तो उसके सामने समस्या उपस्थित होती है फिर वह रोने के कारणों को खोजती है अर्थात समस्या की पूरी जानकारी प्राप्त करती है। फिर वह समाधान खोजती है कि बच्चा भूखा है तो दूध पिलाया जाये, चोट लगी है तो दवा लगाई जाये, अकेला है तो गोद में उठाकर प्यार किया जाये।
फिर वह एक उपाय अपनाती है, फिर भी बच्चा चुप नहीं होता तो दूसरे उपाय का प्रयोग करती है तथा बच्चा चुप हो जाता है।
जैसे :-
ट्रेन में जाना था लेकिन वह चल दी, समस्या उपस्थित हो गई, ट्रेन की स्पीड सही चल रही है जानकारी ली। उपाय खोजे कि दौड़कर पकड़ा जाये।
जंप लगा कर अंदर जाया जाय, किसी का हाथ पकड़कर चला जाये या दूसरी ट्रेन का इंतजार किया जाये। उसमें से एक उपाय का चयन किया जाता है फिर उसका प्रयोग।
जैसे :-
चलते-चलते बड़ा या गड्डा् आ गया। समस्या उत्पन्न हो गई।गड्डा् कितना गहरा है -जानकारी ली। उपाय ढूंढें –
जम्प करके या किसी का हाथ पकड़कर या कोई पुल बनाकर / एक उपाय का चयन करके प्रयोग करना।