educational

पृष्‍ठपोषण | feedback

                              पृष्ठपोषण

 

पृष्ठपोषण
पृष्ठपोषण

 

 

पृष्‍ठपोषण एक ऐसी प्रकिया है जिसमे छात्रों को उनकी कमियों गलतीयों तथा त्रुटियो से अवगत कराया जाता है । ताकि छात्र उन्‍‍हे सुधार सके । साथ ही इस प्रकिया मे छात्रों की अच्‍छी विशेषतायें, अच्‍छा कार्य उनके गुणो तथा उनकी अच्‍छाईयों का भी विवरण दिया जाता है । ताकि वे आगे भी अपने व्‍यवहारों मे प्रदर्शित कर सके । यह पुर्न; वलन अनुक्रिया का सम्‍भावना बढाता है । जबकि पृष्‍ठ पोषण व्‍यवहार मे परिवर्तन लाने का एक सशक्‍त उपकरण है ।

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के अंत मे या मध्य अवधि में आंकलन करके उन्‍हे उनके दोषों तथा क्षमताओं से परिचित कराना साथ ही उनको अग्रिम अध्‍ययन हेतु र्निदेशन की प्रक्रिया को ही पृष्‍ठ पोषण कहते है ।

पृष्‍ठ पोषण तथा पुन: प्रारूप निर्माण :-

 प्रत्‍येक व्‍यक्ति यह जानना चाहता है कि कैसा कार्य कर रहा है किसके लिए उस व्‍यक्ति को अपने द्धारा तथा उस व्‍यक्ति का किये गये कार्य को सत्‍य को सत्‍य जानना चा‍हता है । किसी व्‍यक्ति को उसके कार्य निष्‍पादन के विषय में समय–समय पर सूचित करना कि वह कैसा कर रहा है पृष्‍ठ पोषण कहलाता है ।
व्‍यवहार के नियमित करण के साथ नियत्रण की प्रक्रिया पृष्‍ठ पोषण का भाग होता है । यदि किसी प्रणाली की प्रभावशीलता बढानी है । तथा परिवेश के साथ समन्‍वय स्‍थापित करना है तो पृष्‍ठ पोषण एक महत्‍वपूर्ण उपकरण के रूप मे करता है ।

पृष्‍ठ पोष्‍ठ पोषण के प्रकार

 पृष्‍ठ पोषण सामान्‍यत; दो प्रकार का होता है – 

       1. धनात्‍मक पृष्‍ठ पोषण   
       2. ऋृणात्‍मक पृष्‍ठ पोषण
धनात्‍मक पृष्‍ठ पोषण मे यदि अद् ( निवेश ) मे वृद्धि होती है । तो तद् ( उत्‍पादन ) घ्‍ढता है जबकि ऋणात्‍मक पृष्‍ठ पोषण तद् ( उत्‍पादन ) घटता है तो अद् ( उत्‍पादक ) वृद्धि होती है ।
सामान्‍यत; प्रत्‍येक उद्धेश्‍य प्राप्ति का ओर अग्रसर होने वाली प्रणाली पृष्‍ठ पोषण का उपयोग करती है
पृष्‍ठ पोषण के आधार पर प्रणाली विशेषज्ञ प्रणाली मे आवश्‍यकता अनुसार सुधार लाने का प्रयास करते है ताकि प्रणाली अधिक सक्षम समर्थ एवं प्रभावशाली बन सके तथा सही प्रारूप का निर्माण किया जा सकें ।

पृष्‍ठ पोषण के कार्य :-

पृष्‍ठ पोषण मुख्‍यत; दो प्रकार से कार्य करता है –
1.यह छात्रों को अध्‍ययन करने के संदर्भ मे उपयोगी निर्देशन का कार्य करता है ।
2.यह छात्रों को भावी अध्‍ययन के लिए अभिप्ररेणा प्रदान करता है ।

पृष्‍ठ पोषण देना ( फिडबैक ) :-

पृष्‍ठ पोषण वह जानकारी होती है जो आप किसी छात्र को यह बताने के लिए दी जानी है कि उन्‍होने किसी घो‍षित लक्ष्‍य या अपेक्षित परिणाम के संबंध में कैसा कार्य किया और किस लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रहे।
 

प्रभावीकरण फिडबैक छात्र को –

1.जानकारी देता है कि क्‍या हुआ।
2.छात्र अपनी कमियों  सुधार के क्षेत्र जान सकेगा ।
3.छात्र अभिप्ररेक जान सकेंगा ।
4.छात्र अपने ज्ञान प्रभुत्‍वता को जान सकेगा ।
5.प्राप्‍त परिणाम पुर्नबलन का काम करेगा ।
6.छात्र अपनी शिक्षण आदतों मे बात चीत परिवर्तन कर सकेगा ।
7. छात्र स्वयं की पहचान कर सकेंगे कि वह भविष्य में किस लक्ष्य तक पहुंच सकता है।
8. छात्रों में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास हो सकेगा।
9.छात्र अपनी कमियों को जान सकेगा तथा कमियों को दूर करने का प्रयास करेगा।
10. छात्र अधिगम प्रक्रिया में दक्षता प्राप्त कर सकेंगे।

पृष्‍ठ पोषण देते समय अध्‍यापक को निम्‍न बिन्‍दुओं का रखना चाहिए :-

1.प्रसंसा और सकारात्‍मक भाव का उपयोग करना चाहिए ।
2.संकेत देने के साथ-साथ सुधार का उपयोग करना चाहिए ।
3.छात्र के समझ सकने योग्‍य उपर्यक्‍त भाषा में दिये जाएं ।
4.सही समय पर दी जाए ताकि छात्र समय रहते उसमें वांछित सुधार कर सके।
 
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि मेरा यह पोस्ट आपके शिक्षण कार्य में विशेष उपयोगी होगा और अगर आपको यह ब्लाग पसंद आया तो अधिक से अधिक शेयर और कमेंट करे ताकि मुझे शिक्षा संबंधित पोस्ट लिखने के लिए प्रोत्साहन मिलता रहे। 
                                                 धन्यवाद       
               

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *