अधिगम का आंकलन Assessment of Learning
अधिगम का आंकलन (adhigam ka aakalan)
अधिगम का आंकलन (Assessment of Learning) में सीखने की प्रकिया को छात्र कितना सीखा है । इस से हम छात्र के सीखेे हुए ज्ञान को, छात्र के अन्दर सजृन किया गया ज्ञान को मापतेे है इसे ही अधिगम का आंकलन कहते है। यानि छात्र एक समय सीमा में कितनी जानकारी प्राप्त करता है इसको जानना अधिगम का आंकलन है ।
अधिगम का आंकलन शिक्षण और शिक्षा के गुणवत्ता निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण है। यह मूल्यांकन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे परीक्षा, प्रोजेक्ट, प्रेजेंटेशन, और छात्र की सक्रियता आदि।
2. यह एक लिखित, मौखिक एवं क्रिया आधारित भी हो सकती है ।
3. इसमे प्रश्नों के प्रकार भी अलग हो सकते है लेकिन अधिकतर प्रश्न जानकारी का पता लगा सकते है की छात्र अन्य छात्रों की तुलना में कहां पर है ।
4. इससे पूरे कक्षा या स्कूल या जिले के छात्रोंं के बारे में पता चलता है कि कितने छात्र औसत से उपर है या नीचे कितने छात्र पास हुए या फेल कितने छात्र किस वर्ग में उर्तीण हुए ।
यह सब आंंकलन अधिगम का आंकलन कहलाता है ।
अधिगम आंकलन की विधि
adhigam ka aakalan मे इस प्रकार के तरीके अपनाए जाते है ।
1. कक्षा टेस्ट
2. साप्ताहिक परीक्षा
3. मासिक परीक्षा
4. छमाही परीक्षा
5. वार्षिक परीक्षा
यह जो एक समय के बाद ली जाने वाली परीक्षाऐं है यह सब अधिगम का आंकलन सूचना का आंकलन , सीखने का आंकलन, अधिगम का आंकलन (Assessment of Learning) में ही करते है अंंत मे इन सभी अलग-अलग खण्डाेें मे ली गई परीक्षा केे अंको को जोडकर छात्राेें को फैल या पास करतेे है ।
अधिगम का आंकलन के प्रमुख उद्देश्य
1. सीखने की प्रगति को मापना: यह जानना कि छात्र ने कितना और कैसे सीखा है।
2. शिक्षण की प्रभावशीलता का मूल्यांकन: शिक्षण पद्धतियों की प्रभावशीलता को समझने और उसमें सुधार करने के लिए।
3. छात्रों को फीडबैक देना: छात्रों को यह बताना कि वे किस हद तक सफल हो रहे हैं और कहाँ सुधार की आवश्यकता है।
4. भविष्य की योजना: शिक्षकों को यह जानकारी मिलती है कि आगे की कक्षाओं में किस प्रकार की रणनीतियों का उपयोग करना चाहिए।
5. शैक्षणिक निर्णय: छात्रों के लिए अनुकूल शिक्षण वातावरण तैयार करने और पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव करने के लिए।
अधिगम के आंकलन के प्रकार
1. आंतरिक मूल्यांकन (Formative Assessment)
यह लगातार और नियमित रूप से किया जाता है, जिसमें छात्रों की प्रगति का पता चलता है और शिक्षण को समायोजित किया जाता है।
2. समाप्ति मूल्यांकन (Summative Assessment)
यह एक निश्चित समय पर किया जाता है, जैसे कि परीक्षा के अंत में, जिससे यह जाना जा सकता है कि छात्र ने पाठ्यक्रम के अंत में कितना ज्ञान प्राप्त किया है।
3. स्व-मूल्यांकन (Self-Assessment)
इसमें छात्र स्वयं अपनी शिक्षा का आंकलन करते हैं, जो आत्मनिरीक्षण और आत्म-सुधार में मदद करता है।
अधिगम का आंकलन छात्रों की शिक्षा यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होता है और छात्र अधिक प्रभावी ढंग से सीखने में सक्षम होते हैं।