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आंकलन क‍ी प्रक्रिया process of Assessment

आंकलन क‍ी प्रक्रिया (aakalan ki prakriya)

aakalan ki prakriya
aakalan ki prakriya

process of Assessment – किसी वस्तु प्राणी अथवा क्रिया की विशेषताओं का आकलन दो प्रकार के होते हैं गुणात्मक आंकलन और मात्रात्मक आंकलन। किसी वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया की विशेषताओं को गुणों के रूप में देखने-समझने और मापने को गुणात्मक आंकलन कहते हैं। और किसी वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया की विशेषताओं को इकाई के रूप में मापने को मात्रात्मक आंकलन कहते हैं।

गुणात्मक मापन और मात्रात्मक मापन में मूल अंतर होता है कि गुणात्मक आंकलन का आधार मानदंड होते हैं, जो सर्वमान्य नहीं होते हैं और मात्रात्मक आंकलन का आधार इकाइयां होती है जो निश्चित एवं सर्वमान्य होती है। इनमें दूसरा सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि गुणात्मक आंकलन अपने पूर्ण रूप में नहीं किया जा सकता, जबकि मात्रात्मक आंकलन पूर्ण इकाई के रूप में किया जाता है। क्योंकि गुणात्मक आंकलन अपने पूर्ण रूप में नहीं किया जा सकता, उसका कुछ मानदंडों के आधार पर अनुमान ही लगाया जा सकता है, इसलिए कुछ विद्वान इस गुणात्मक आकलन को मापन कहते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में मुख्य रूप से दो प्रकार के परीक्षणों का उपयोग किया जाता है एक उपलब्धि परीक्षण का और दूसरे मनोवैज्ञानिक परीक्षण का और इन दोनों प्रकार के परीक्षणों से गुणात्मक मापन होता है इसलिए इन्हें आंकलन कहा जाता है। आंकलन एक संगठनात्मक तथा रचनात्‍मक प्रकिया है । जि‍ससे श‍िक्षक को यह ज्ञात होता है क‍ि छात्र का उच‍ित अ‍‍धिगम हा‍े रहा है क‍ि नही हो रहा है आंकलन की प्रक्रिया सम्‍पूर्ण वर्ष भर पढने पढानेे के साथ चलती रहती है जो छात्र एवं श‍िक्षक के बीच बुनियाद पर व‍िकस‍ित होती है ।

aakalan ki prakriya (process of Assessment)

1. आंकलन पाठ्यक्रम योजना का एक अ‍भ‍िन्‍न अंग हैै तथा इसेे श‍िक्षण अध‍िगम प्रक्रिया से अलग नही क‍िया जा सकता है ।

2. यह छात्रों क‍ि उपल‍ब्‍धि के स्‍तर को बढाने में महत्‍वपूर्ण भूम‍िका न‍िभाता है यह व‍िधालय प्रभावशाली आंकलन के द्धारा श‍िक्षक व छात्र दोंनो को वह सूचनाऐ म‍िलती है । ज‍िससे श‍िक्षण अध‍िगम प्रक्रिया में सुधार लाया जा सकता हैै।

3. इसके पश्‍चात श‍िक्षक छात्रों को लगातार पृष्‍ठपौषण देते है ताक‍ि उन्‍हेे यह पता चल सके क‍ि वे क्षेत्र कौन-कौन से है ज‍िनमे उन्‍हे सुधार की आवश्‍यकता है ।

4. आंकलन के पश्‍चात छात्रों की प्रगत‍ि र‍िपोर्ट से उनके अभ‍िवाहक को पर‍िच‍ित कराया जाता है ताक‍ि श‍िक्षक छात्रों व अभ‍िभावको तीनों बालक के स्‍तर को बढाने के ल‍िए अपना योगदान दे सकेे ।

5. इस प्रक्रिया का उद्धेश्‍य व‍िद्यालय के अन्‍दर व बाहर की उन सभी अच्‍छी क्रियाओं व आदतों को प्रयोगात्‍मक रूप से जोडना है । जो छात्र की प्रगत‍ि में सहायक सावित हो सकता है ।

6. यह उन सभी आंकलन की गत‍िव‍िध‍ियों को शुरू करने ज‍िससे प्रगत‍ि के केन्‍द्र पर सुधार की योजना पर बढोतरी पर सीधा प्रभाव पडता है ।

7. यदि आंकलन को कक्षा मे चल रहे दिन-प्रतिदिन के अभ्‍यास के साथ जोड द‍िया जाऐ तो यह एक मार्गदर्शक के रूप मे प्रयुक्‍त क‍िया जा सकता है । ज‍िससे आने वालेे अध‍िगम में सुधार करके उसे और प्रभाव‍ित बनाया जा सकता है ।

8. सीखने को प्रोत्‍साह‍ित करने के ल‍िए व आंकलन का प्रयोग करने के ल‍िए श‍िक्षको को प्रमाण एकत्र‍ित करके जानकारी का व‍िश्‍लेषण करके और प्रकिया प्रदान करके अपने छात्रों का आंकलन व न‍िगरानी करनी चाह‍िए इस से  तरह सभी  छात्रों के नतीजे में सुधार व आगे की अध‍िगम प्रकिया को प्रभावशाली बनाने के ल‍िए क‍िया जाता है ।

आंकलन केे उद्धेश्‍य न‍िदानात्‍मक होते है ।

शैक्ष‍िक संदर्भ में आंकलन के उद्धेश्‍य

process of Assessment
                    process of Assessment
1. शिक्षण अध‍िगम कार्यक्रम में सुधार लाना ।

2. छात्राें व श‍िक्षकों को पृष्‍ठ पौषण प्रदान करना ।

3. छात्रों की अध‍िगम संबंध‍ि कठ‍िनाईयों को ज्ञात कर उनका न‍िदान करना ।

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