तर्क के प्रकार

तर्क के प्रकार – तर्क मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –

आगमन तक ( inductive reasoning ) :-

तर्क के प्रकार में आगमन तक में व्यक्ति अपने अनुभवों और एकत्रित किए गए तथ्यों के आधार पर किसी सामान्य नियम या सिद्धांत पर पहुंचता है आगमन तर्क मैं व्यक्ति तीन स्तरों से होकर गुजरता है-
1.निरीक्षण
2. प्रयोगीकरण
3. सामान्यीकरण

उदाहरण –

व्यक्ति निरीक्षण करता है कि नीले लिटमस पत्र पर किसी भी अम्ल की बूंद पड़ने पर वह लाल हो जाता है वह प्रत्येक अम्ल का लिटमस पर प्रभाव देखने के लिए प्रयोग करता है वह नमक के अम्ल का लिटमस पर प्रभाव देखता है।

गंधक-अम्ल के प्रभाव को देखता है। शोरे के अम्ल के प्रकार को लिटमस पर अन्य अम्लों के प्रभाव भी देखता है कि अम्ल नीले लिटमस को लाल करते हैं। इस प्रकार इसमें विशिष्ट सत्य से सामान्य सत्य की और अग्रसर होते हैं।

भाटिया के अनुसार :-

“आगमन विधि खोज और अनुसंधान की विधि है”।

तर्क

1.निगमन तर्क ( Dductive reasoning ) :-

निगमन तर्क में व्यक्ति पूर्व निश्चित सिद्धांतों अथवा नियमों को स्वीकार कर लेता है और उसी के आधार पर किसी परिस्थिति या वस्तु-विशेष की सत्यता को प्रमाणित करता है।

उदाहरणार्थ –
सभी अम्ल नीले लिटमस को लाल करते हैं। नींबू का रस भी नीले लिटमस को लाल करता है। अतः यह भी अम्ल है।

भाटिया के अनुसार :-

“निगमन विधि प्रयोग और प्रमाण की विधि है।”

आगमन तर्क के शिक्षण सूत्र :-

उदाहरण से नियम
विशिष्ट से सामान्य
ज्ञात से अज्ञात
सरल से जटिल

निगमन तर्क के शिक्षण सूत्र :-

नियम से उदाहरण
सामान्य से विशिष्ट
अज्ञात से ज्ञात
जटिल से सरल

4.आलोचनात्मक तर्क (Evaluative reasoning ) :-

इस प्रकार की तर्कणा में व्यक्ति किसी वस्तु, घटना के बारे में सोचते समय या किसी समस्या का समाधान करते समय प्रत्येक उपाय के गुण व दोष की परख कर लेता है। उसके गुण-दोष की परख के बाद ही वह किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचता है।

5.सादृश्यवाची तर्क ( Analogical reasoning ) :-

इस तरह की तर्कणा में उपमा के आधार पर तर्क-वितर्क करते हुए चिंतक किसी निष्कर्ष पर पहुंचता है। जैसे शिक्षक छात्र से यह प्रश्न पूछते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई राणा प्रताप के समान एक वीरांगना कैसे थी ?

इस समस्या के लिए छात्र यह सोच सकता है कि रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से हार नहीं मानी थी और ठीक उसी तरह राणा प्रताप ने भी अकबर से हार स्वीकार करना अपने मान के खिलाफ समझा था। अतः सचमुच राणा प्रताप, जैसे वीर पुरुष के समान ही रानी लक्ष्मीबाई भी एक मशहूर वीरांगना थी। इस तरह के चिंतन को सादृश्यवाची तर्कणा कहा जाता है।

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