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शिक्षा प्रशासन के तत्व

शिक्षा प्रशासन के तत्व/कार्य (Elements/Function of Educational Administration)
हेनरी फेयॉल को प्रशासन का पिता कहा जाता है। फेयॉल के शब्दों में, “शैक्षिक प्रशासन एक प्रक्रिया है, जिसके निश्चित लक्ष्य होते हैं, लक्ष्य निश्चित होने के बाद व्यापक होते हैं।” फेयॉल ने प्रशासन को एक प्रक्रिया के रूप में माना तथा इस प्रक्रिया के पांच तत्व/कार्य POCCC बतलाये हैं, ये कार्य निम्न है: Planning (नियोजन), organisation (संगठन), Commanding (आदेश), Coordinating (समन्वय), Controlling (नियंत्रण),।

लूथर गुलिक ने प्रशासन के कार्यों को POSDCORB के रूप में निरूपित किया- Planning (नियोजन), Organizing (संगठन), Staffing (स्टाफ नियुक्ति), Directing (निर्देशन), Coordinating (समन्वय), Reporting (आलेखन), Budgeting (बजट) । सीयर्स ने प्रशासन के तत्वों को PODCC के रूप में प्रस्तुत किया जिसका तात्पर्य planning (नियोजन), organising (संगठन), Directing (निर्देशन), Coordinating (समन्वय), Control and Evaluation (नियंत्रण एवंं मूल्यांकन) से है।

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शिक्षा प्रशासन के कार्य 

शासन के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-

1. नियोजन (planning)- शिक्षा प्रशासन का प्रमुख कार्य नियोजन है। उद्देश्य प्राप्ति हेतु यह प्रथम चरण है जिसके अंतर्गत उद्देश्यों को ध्यान में रखकर, सभी संभावित कार्य आधारित सूचनाएं एकत्र कर, भविष्य में आने वाली बाधाओं के बारे में विचार कर उपयुक्त विश्लेषण द्वारा वस्तुनिष्ठ, निष्पक्ष तथा लचीली योजना बनाई जाती है। योजना बनाते समय उपलब्ध समय व धन एवं संसाधनों को ध्यान रखा जाता है जिससे समय तथा संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए समयावधि के अंदर ही उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।

2. संगठन (Organisation)- संगठन से तात्पर्य प्रशिक्षण संस्था में उपलब्ध समस्त भौतिक (विद्यालय भवन, फर्नीचर, शैक्षणिक सामग्री. ब्लैकबोर्ड, उपकरण आदि) एवं मानव संसाधनों ( शिक्षक, छात्र, शिक्षणेत्तर कर्मचारी, समितियां, कक्षाएं, अभिभावक) के उद्देश्य प्राप्ति की दिशा में मिलकर कार्य करते करने से है। व्यवस्था में स्थिरता तथा लचीलापन दोनों ही गुण आवश्यक है।

3. कार्यकर्ता (Staffing)- शिक्षण संस्था में शैक्षिक गतिविधियों के सुचारु संचालन हेतु कर्मचारी आवश्यक होते हैं। समस्त कर्मचारियों जैसे- शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी, प्रशासन आदि की नियुक्ति, सेवा सुरक्षा, सेवा शर्ते, सेवा उन्नति, पेंशन आदि की व्यवस्था करना शिक्षा प्रशासन का ही कार्य है।

4. निर्देशन (Direction)- निर्देशन से तात्पर्य सेवारत समस्त कर्मचारियों को उनकी क्षमताओं, अनुभव, योग्यताओं, कौशल, रुचियों आदि पर आधारित कार्यों के विभाजन से है। शिक्षा प्रशासन अधिकारों एवं कार्यों का विकेंद्रीकरण कर कार्य करवाने हेतु उचित सलाह, आदेश, निर्देश देना है अतः प्रशासन को अपने ज्ञान, विवेक, अनुभव, अंतर्दृष्टि का उपयोग करते हुए निर्देशन का कार्य करना होता है।

5. समन्वय (Coordination)- शिक्षण संस्थाओं में संघर्ष तथा द्वंद्व की स्थिति को हटाने के लिए कर्मचारियों तथा कार्यों मे उचित समन्वय आवश्यक होता है। शिक्षा प्रशासन सभी संस्थागत कर्मचारियों तथा अन्य संस्थाओं में पारस्परिक समन्वय बनाये रखने का कार्य करता है। जिससे लक्ष्य प्राप्ति आसान हो जाये।

6. आलेखन (Reporting)- शिक्षा प्रशासन अपनी संस्था के विभिन्न क्रियाकलापों को आलेखित करता है जिससे वह समुदाय तथा उच्च अधिकारियों को इन क्रियाओं में व संस्था की उन्नति से अवगत करा सके। शिक्षा प्रशासन को इस हेतु निरंतर शोध, निरीक्षण व अभिलेख द्वारा विभिन्न शिक्षा संबंधी योजनाओं, आदेशों तथा नियमों आदि का ज्ञान रखना आवश्यक है।

7. वित्तीय नियोजन (Budgeting)- किसी कार्य को करने हेतु आवश्यक धन का अनुमान लगाना तथा उसका लेखा-जोखा रखना बजट कहलाता है। शिक्षा प्रशासन के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक काम बजट बनाना है। जिससे निश्चित समय में कम व्यय के साथ कार्य पूरा किया जा सके। प्रशासन को सभी संबंध कर्मचारियों की सलाह लेते हुए बजट बनाना आवश्यक है।

8. मूल्यांकन एवं नियंत्रण (Control and evaluation)- शिक्षा प्रशासन पर्यवेक्षण के आधार पर मूल्यांकन करता है। कर्मचारियों के कार्यों, क्षमताओं, गतिविधियों तथा विभिन्न योजनाओं की प्रगति एवं उद्देश्यों का सतत मूल्यांकन कर शिक्षण प्रक्रिया को बेहतर बनाने हेतु प्रयास किया जाता है। कर्मचारियों की कमियों को दूर करने व आवश्यक सुधार लाने में तथा सराहनीय प्रयासों को प्रोत्साहन देने के कार्य में प्रशासन सदैव संलग्न रहता है । आवश्यक पुनर्वलन प्रदान कर कर्मचारियों को सकारात्मक दिशा में कार्य हेतु प्रेरित करना तथा अनुचित व्यवहार को रोकना, अनुशासनात्मक कार्यवाही करना भी शिक्षा प्रशासन का कार्य है। मूल्यांकन व नियंत्रण के द्वारा ही शिक्षण अधिगम प्रक्रिया, अर्थात पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों, निर्देश सामग्री, शिक्षक, पाठयेतर क्रियाओं आदि में सुधार लाया जा सकता है।

“कोई भी जब तक संबंधित व्यक्तियों, वस्तुओं अथवा लक्ष्यों पर भली प्रकार नियंत्रण न कर ले तब तक वह किसी क्रिया के संबंध में निर्देशन नहीं दे सकता है।” -सीयर्स

9. संप्रेषण (Communication)- संस्था में स्वाभाविक एवं समरक संप्रेषण स्थापित करने का कार्य शिक्षा प्रशासन का है दो प्रकार के संप्रेषण संभव है-

(अ) Vertical communication (लंबवत संप्रेषण)
(i) Upward communication (ऊर्ध्वगामी संप्रेषण) -छात्र- शिक्षक प्रशासन
(ii) Downword communication (अधोगामी संप्रेषण) – प्रशासक-शिक्षक-छात्र
(ब) Horizontal communication (क्षैतिज संप्रेषण) शिक्षक -शिक्षक, शिक्षक -अभिभावक

10. निर्णनय (Decision making)- शिक्षण संस्था के सुचारू संचालन के लिए निर्णयन एक महत्वपूर्ण कार्य है जो संपूर्ण प्रशासन प्रक्रिया के प्रत्येक कार्य में निहित होता है। किसी शिक्षण संस्था की सफलता हेतु प्रशासक का निर्णयन बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। संस्था के समस्त कर्मचारियों को निर्णय प्रक्रिया में सहभागिता प्रदान कर प्रजातांत्रिक सिद्धांतों का पालन करना जरूरी है। जिससे आपसी द्वंद्व, विरोध भाव, भूमिका संशय को खत्म कर समूह भावना, कार्य समर्पण का भाव, कार्य संतुष्टि, उद्देश्य प्राप्ति आदि सकारात्मक गुणों का विकास हो सके।

11. अभिप्रेरणा (motivation)- शिक्षा प्रशासन विभिन्न अभिप्रेरणात्मक सिद्धांतों के आधार पर कर्मचारियों को प्रेरित कर उद्देश्य प्राप्ति करता है। व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण सभी कर्मचारी अपने कार्य व्यवहार, अभिरुचि, क्षमताओं में एक दूसरे से भिन्न होते हैं। प्रशासक व्यक्ति एवं परिस्थिति के अनुसार आवश्यक अभिप्रेरणा का प्रयोग करता है जिससे वह कर्मचारियों व छात्रों की क्षमताओं का अधिकतम उपयोग कर शिक्षण प्रक्रिया को बेहतर बना सके।

12. निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण (observation and supervision) शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के समस्त पक्षों जैसे- शिक्षक, छात्र, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधियों, पाठ्योउत्तर गतिविधियों, परीक्षा, संसाधन आदि का निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण करना शिक्षा प्रशासन का कार्य है जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार कर अधिकतम विकास किया जा सके।

13. नवाचार (innovation)- शिक्षा संबंधी समस्याओं के उचित समाधान,नई उपलब्ध संसाधनों के समुचित प्रयोग के लिए नवाचार करना शिक्षा प्रशासन का कार्य है।

14. सहायक सेवाओं की व्यवस्था करना (to arrange additional service)- शिक्षा प्रशासन विभिन्न सहायक सेवा जैसे – शैक्षिक व व्यावसायिक निर्देशन, मध्याह्न भोजन योजना, पुस्तकालय, कैंटीन, यातायात, छात्रवृत्ति, यूनिफार्म वितरण, स्वास्थ्य सेवाओं आदि की व्यवस्था कर छात्र विकास सुनिश्चित करता है।

15. परीक्षाओं की व्यवस्था करना (to conduct examinations)-

विभिन्न स्तरों पर परीक्षाओं की व्यवस्था करना तथा प्रमाणपत्रों का वितरण करना शिक्षा प्रशासन के कार्यों के अंतर्गत आता है।

16. आलेखन (Record)- आलेखन के अंतर्गत विद्यालयों में शिक्षकों तथा छात्रों से संबंधितविभिन्न प्रश्नों संबंधी तथ्यों की सुरक्षा निहित होती है। अनुदान संबंधी आलेख, वित्तीय, पर्यवेक्षण आलेख, निरीक्षण, परीक्षा आलेख,  व्यक्तिगत आलेख (शिक्षक/छात्र कर्मचारी संबंधी) आदि की सुरक्षा व रखरखाव भी आलेखन प्रक्रिया में संपन्न किया जाता है।

 

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