educational

शैक्षिक प्रशासन का क्षेत्र

शैक्षिक प्रशासन का क्षेत्र (scope of educational administration) – शिक्ष का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है।विभिन्न विद्वानों ने शिक्षा प्रशासन के क्षेत्र को भिन्न-भिन्न प्रकार से वर्णित किया है। और Ordway Tead ने सामान्य प्रशासन की पांच कार्य क्षेत्रों का शिक्षा के क्षेत्र में निम्न रूप से वर्णित किया है –

1. उत्पादन – उत्पादन के तहत मुख्य रूप से सामाजिक, राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास करना नहीं तो है। जिससे वह कुशल एवं योग्य नागरिक के रूप में श्रेष्ठ सिद्ध हो सके।

2. जनकल्याण/समाज के लिए उपयोगी – जन कल्याण के तहत शैक्षिक संस्थाओं के कार्य तथा संचालन निहित है। जिससे कि शिक्षा सामाजिक आदर्शों एवं अपेक्षाओं के अनुसार मानव संसाधन विकास करने में सफल हो सके।

3. वित्त एवं लेखाकार्य- शैक्षिक संस्थाओं में शिक्षा वित्त की व्यवस्था , व्यय की मदों का निर्धारण करना,धन का अपव्यय रोकने हेतु सदुपयोग को बढ़ावा, उपलब्ध संस्थाओं व सीमित वित्त में उद्देश्य प्राप्ति करना, विभिन्न अभिकरणों तथा केंद्र, राज्य स्थानीय प्रशासन का वित्तीय सहयोग बजट बनाना,आय के स्रोतों की व्यवस्था आदि वित्त एवं लेखा कार्य में निहित हैं।

4. कार्मिक वर्ग – शिक्षा प्रशासन के क्षेत्र में कार्मिक वर्ग / कर्मचारियों का पूर्ण व्यवसायिक विकास, नियुक्ति, प्रशिक्षण, कार्य वितरण, संबंधित सेवा शर्तों का निर्णायन, अधिकारों व कर्तव्यों का विनिश्चयीकरण, सुरक्षा व कल्याण योजना, निर्माण, वेतन व अन्य भक्तों तथा सुविधाओं का निर्धारण आदि सम्मिलित हैं। कार्मिक वर्ग की कार्य संतुष्टि वह बेहतर प्रदर्शन हेतु उक्त वर्णित क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाना अत्यंत आवश्यक है जिससे संस्था उनसे अधिकतम रूप से लाभान्वित हो सके।

5. समन्वय – शैक्षिक संस्थाओं में माननीय व भौतिक संसाधनों में उचित समन्वय स्थापित करना जिससे कि लक्ष्य प्राप्ति सुगम हो सके, समन्वय के अंतर्गत आता है।

इसे भी पढ़ें – शैक्षिक प्रशासन का अर्थ एवं परिभाषा

Graph एवं street के अनुसार शिक्षा प्रशासन के क्षेत्र निम्न है  – 

1. पाठ्यक्रम एवं शिक्षण
2. विद्यालयी छात्र
3. कर्मचारी वर्ग
4. विद्यालय भवन
5.संगठनात्मक संरचना
6.बिल एवं व्यापारिक संगठन
7.वाहन सुलभता

इसे भी पढ़ें – शिक्षा प्रशासन के तत्व / कार्य

Gaind एवं Sharma के अनुसार शिक्षा प्रशासन का क्षेत्र निम्न है –

1. समाज के उद्देश्यों, आदर्शों, आकांक्षाओं व आशाओं के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों को निश्चित करना।
2. समाज के सभी बालकों हेतु शिक्षा योजना बनाना।
3.शिक्षा योजना को कार्य रूप में परिणत करने हेतु समस्त उपलब्ध संसाधनों को एकत्र करना।
4. समस्त मानवीय एवं भौतिक संसाधनों का मितव्ययितापूर्ण समुचित उपयोग करना।
5.शिक्षण प्रक्रिया का संचालन व मूल्यांकन करते हुए पुनः योजना निर्माण करना।
अतः शिक्षा प्रशासन के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत निम्न तत्वों को रखा जा सकता है –
1.छात्र – छात्र नामांकन, प्रवेश, वर्गीकरण, परीक्षा, अनुशासन उन्नति।
2. पाठ्यक्रम – सामाजिक आकांक्षाओं के अनुरूप पाठ्यक्रम निर्माण, पाठ्यपुस्तकें तथा अनुदेशात्मक सामग्री का निर्माण एवं व्यवस्था, गृहकार्य।
3.छात्र सेवाएं – पुस्तकालय, पुस्तक बैंक, मध्याह्न भोजन, कैंटीन, हाॅस्टल, शैक्षिक व व्यावसायिक निर्देशन, यूनिफार्म वितरण, छात्रवृत्ति वितरण, शुल्कमुक्ति,परिवहन, चिकित्सा सुविधाएं, पार्किंग, पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था।
4. शोध द्वारा नवाचार प्रोत्साहन।
5. मूल्यांकन
6. शिक्षणविधियां – छात्र केंद्रित, सहभागितापूर्ण विधियों का प्रयोग ।
7. समय तालिका को तैयार करना।
8.शिक्षण सहायता सामग्री की व्यवस्था।
9.पाठ्यसहगामी क्रियाओं की व्यवस्था।
10.निरीक्षण व पर्यवेक्षण करना।
11.अभिभावकों व समाज से उपयुक्त संबंध स्थापित करना।
12.भौतिक संसाधन – विद्यालय भवन, प्रयोगशाला, विभिन्न कक्ष, फर्नीचर, शिक्षण सहायक सामग्रियों, विभिन्न उपकरणों आदि का रखरखाव तथा सुरक्षा।
13. विद्यालय में बिल व्यवस्था करना।
14. शिक्षक / कर्मचारी कार्य विभाजन व समन्वय।
15. गृहकार्य प्रदान करना।
16.आलेखन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *