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शैक्षिक वित्त का अर्थ || meaning of educational finance

शैक्षिक वित्त का अर्थ meaning of educational finance

शैक्षिक वित्त का अर्थ से तात्पर्य शिक्षा में प्रयुक्त होने वाले उस धन से है जिसमें शिक्षा क्षेत्र में होने वाले आय-व्यय का भाव निहित होता है। किसी शिक्षण संस्थान को प्राप्त आय के विभिन्न स्रोतों तथा व्यय की जाने वाली मदों का पूर्व निर्धारण इसमें सम्मिलित है। आने वाले प्रत्येक वर्ष के लिए इस प्रकार आय-व्यय का संपूर्ण ब्यौरा जिसे आय-व्यय विवरण का बजट कहते हैं, को तैयार कर उक्त वित्तीय वर्ष के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

आयव्ययक ( Budget ) 

आयव्ययक अथवा बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा की बूज्यट शब्द से हुई है जिसका अर्थ चमड़े का बैग है। क्योंकि चमड़े के बैग में आय-व्यय से संबंधित प्रतिवेदन रखा जाता था अतः इस शब्द का प्रयोग आयव्ययक के रूप में किया जाने लगा। बजट में मुख्य रूप से वित्तीय व्यवस्था का प्रतिवेदन, वित्तीय स्थिति का अनुमान और वित्तीय कार्यक्रमों का प्रस्ताव निहित है। बजट के द्वारा ही किसी शैक्षिक संस्थान की संभावित आय तथा व्यय के विषय में अनुमान लगाया जाता है।

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संस्थागत प्रबंधन प्रक्रिया में बजट का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। संस्थागत उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु समस्त भौतिक व मानवीय तत्वों की उपलब्धता, व्यवस्था, नियोजन, संगठन, निर्देशन आदि का समस्त कार्य बजट पर निर्भर करते हैं। बजट नियोजन प्रक्रिया का एक आवश्यक अंग है। बजट की अंतर्गत अनुमानित आय की समस्त स्रोतों तथा व्यय की संभावित मदों का पूर्वानुमान लगाकर गणना के पश्चात इसमें संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। बजट निर्माण प्रक्रिया में निम्नलिखित मुख्य पद सम्मिलित है-

1.आयव्ययक नियोजन (planning of budget) 

इस पद के अंतर्गत संस्था प्रशासन द्वारा समस्त शिक्षकों तथा कर्मचारियों की सहायता से बजट संबंधी आवश्यक सूचनाएं प्राप्त कर बजट की तैयारी की जाती है। संस्था विशेष की आवश्यकताओं, पूर्व वर्षों के बजट, महंगाई आदि कारकों को ध्यान में रखते हुए बजट नियोजन किया जाता है।

2.आयव्ययक गठन (organisation of budget) 

इस पद के अंतर्गत संस्था के आय के संभावित स्रोतों तथा अनुमानित व्यय की मदों के बारे में निश्चय किया जाता है। बजट प्रारूप की पृष्ठभूमि को प्रस्तावना द्वारा प्रकट किया जाता है। जिसमें अनुमोदित बजट का औचित्य तथा निर्देशक तत्व सम्मिलित होते हैं।

3. बजट प्रस्तुतीकरण और अंगीकरण ( presentation of budget ) 

बजट प्रारूप तैयार होने के पश्चात्य से संबंधित उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। जिससे समस्त संबद्ध व्यक्तियों से विचार विमर्श के उपरांत अनुमोदित किया जाता है। यह प्रक्रिया अगले वित्तीय वर्ष के प्रारंभ के पूर्व की जानी चाहिए। इस प्रकार अनुमोदित बजट को अंगीकृत किया जाता है।

4.आयव्ययक प्रशासन (administration of budget)

आयव्ययक प्रशासन से तात्पर्य आयव्ययक के व्यवस्थित क्रियान्वयन से है जिसमें संस्था की विभिन्न कार्य योजनाओं के लिए ब्याई किया जाता है। इस पद पर कुशल बजट प्रशासन हेतु निश्चित नियमों के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन हेतु सक्षम अधिकारियों द्वारा वित्त आवंटन, वित्त समन्वय, वित्त नियंत्रण, वित्त मूल्यांकन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। विभिन्न मानकों तथा आदर्शों की आधार पर वित्त के सदुपयोग पर बल देते हुए किसी भी कारण से वित्त के दुरुपयोग पर नियंत्रण रखना इसमें शामिल है।

5.आयव्ययक मूल्यांकन (evaluation of budget) 

मूल्यांकन के अंतर्गत किसी निश्चित वित्तीय वर्ष के समाप्त होने पर बजट का मूल्यांकन कर ज्ञात किया जाता है। कि उक्त समय अवधि में वित्त का किस प्रकार किन मदों के अंतर्गत उपयोग किया गया। किस मद में अनुमानित व्यय से कम या अधिक व्यय हुआ और क्यों ? इस हेतु लेखा परीक्षण किया जाता है तथा पुनः पिछले वर्ष के बजट व परिणामों को दृष्टि में रखकर अगले वित्तीय वर्ष हेतु बजट रूपरेखा बनाई जाती है।

-wikipedia-org

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