तुंगनाथ tungnath
तुंगनाथ
देव भूमि उत्तराखण्ड राज्य मे अनेक तीर्थ स्थल स्थित है जिनमे से एक जनपद रूद्रप्रयाग मे स्थित तुंगनाथ मंदिर एक प्रमुख देवस्थान है तुंगनाथ में भगवान शिव के बाहु रूप का दर्शन किया जाता है यह मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर की उंचाई स्थित इस मंदिर की पवित्रता अपार है । तुंगनाथ से अधिक उंचाई पर कोई हिन्दु मंदिर नही है । यहां खंडित मूर्तियां बतलाती है कि यह प्राचिन स्थान है मंदिर में शिवलिंग है जिसके पीछे पद्धमामनस कुंडलधारी भक्त मूर्ति है । तुंगनाथ हिमालय के गर्भ में है इसके उपर चारों और हिम शिखरों की पंक्तियां चली गर्इ है और नीचे हजारों पहाड मानों हिम शिखरों की ओर ध्यान लगाए एक टक देख रहे हैं । यह मंदिर उखीमठ – गोपेश्वर मार्ग पर 30 किमी की दूरी पर चद्रशिला पर्वत के शिखर पर स्थित है । शिव के इस मंदिर में गुम्बज के सम्पूर्ण विस्तार में 16 द्धार है । यहां आदि गुरू शंकराचार्य की एक 2.5 फुट लम्बी मूर्ति स्थित है । यहां भगवान शिव के हाथ की पूजा होती है । पंचकेदार में इन्हे तृतीय केदार कहां जाता है । शीतकाल में तुंगनाथ की पूजा मक्कूठ में होती है । इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर रावण शिला है ।
chandrashila |
कपाट खुलने बंद होने का समय :-
तुंगनाथ महादेव के कपाट भी बैशाख अक्षय तृतीय अपैल – मई में उत्तराखंड के चारों धामों के कपाट के साथ खोल दिए जाते है और शीत काल मे चारों तरफ बर्फ की चादर से यह स्थान पुरी तरह से ढक जाने के कारण यहां के कपाट बंद कर दिए जाते हैं । शीतकाल में बाबा तुंगनाथ के दर्शन उखीमठ में किए जातें हैं ।
तुंगनाथ का प्राकृतिक सौंदर्य :-
तुंगनाथ उत्तराखण्ड के गढवाल क्षेत्र में चोपता से 3 किमी की दूरी पर है गढवाल क्षेत्र अपने हरे-भरे घास के सुन्दर एवं रमणीयता के लिए प्रसिद है । इन घास के मैदानों को बुग्याल या पयार कहां जाता है इस बुग्याल क्षेत्र में यहां के स्थानीय लोग बकरीयों व मवेशीयों के साथ प्रकृति का आन्नद लेते हैं । तुंगनाथ जाते समय इस क्षेत्र में पहाडियों के बीच छोटे-बडे कस्बे, गांवों के बीच से होकर जाना होता है तथा इस क्षेत्र में बांज ,बुरांश, देवदार,खैर आदि वनस्पतियों का जंगल है आगें चलकर यहां के मैदानी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के रंग विरंगी फुलों का विस्तार पाया गया है जों यात्रीयों को अपनी तरफ आनें को विवश कर देती हैं। यह स्थान औषधियौं से आछादित्त है । यहां के लोग प्रकृति प्रेमी होते है प्रकृति से समायोंजित होने के कारण यहां के लोग सरल एवं सरस स्वभाव के होते है । तुंगनाथ जाते समय मन को परम सुख की प्राप्ति होती है क्योंकि यहां जाते समय ऐसा प्रतित होता है कि हम आसमान में नीले बादलों के संग भ्रमण कर रहें हैं । यहां से हिमालय पर्वत की चौखम्बा ,त्रिशुल पर्वत सामने बर्फ से आछाद्धित सुन्दर नजारा दिखाई देता है ।
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तुंगनाथ जाने के मार्ग :-
तुंगनाथ यात्रा के लिए दो मार्ग है ।
1 :- पहला मार्ग सोनप्रयाग, फाटा, गुप्तकाशी, कुंड, उखीमठ, चोपता,होते हुए तुंगनाथ के लिए जाता है ।
2 :- दुसरा मार्ग सोनप्रयाग, फाटा, गुप्तकाशी, कुंड, रूद्रप्रयाग, गोचर, कर्णप्रयाग, नन्दप्रयाग, चमोली, गोपेश्वर, मंडल,चोपता होते हुए तुंगनाथ के लिए जाता है ।
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कैसे पहुंचे :-
1.वायु मार्ग :-
रूद्रप्रयाग से निकटतम हवाई अडडा जोली ग्रांट ऋषिकेश 17 किमी है ।
2.रेल मार्ग :-
रूद्रप्रयाग से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश 215 किमी है ।
3.सडक मार्ग :-
ऋषिकेश ओर कोटद्धार से चोपता व गोपेश्वर जाने के लिए बस, टैक्सी वाहन की सुविधा पूर्ण रूप से उपलब्ध है यह सडक मार्ग सभी मोटर मार्गो से जुडा हुआ है ।
रहने खानें की व्यवस्था :-
तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए इस मार्ग पर यात्रीयों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं जैसे- खाने व ठहरने के लिए होटल, गेस्ट हाउस उपलब्ध है गुप्तकाशी, फाटा,सोनप्रयाग, उखीमठ, तथा तुंगनाथ के सबसे निकट चोंपता है जहां पर भोजनालय, ढाबा, व गेस्ट हाउस उपलब्ध है ।
एक बार तुंगनाथ महादेव के दर्शन करने अवश्य आइए ।
दोस्तों उत्तराखण्ड देव भूमि (देवों की तपस्थली) में जो भी आया है उसने सदेव परम् आनन्द कि प्राप्त की है इस स्थान में आने के बाद आपको समझे ऐसा प्रतीत होगा कि मानों आप ईश्वर की प्राप्ति हो गई। एक बार यहाँ आकर यहाँ की हशीन वादियों का आनंद जरूर ले।
विशेष निवेदन – कृपया देव भूमि उतराखंड को दुषित न करें स्वच्छता का विशेष ध्यान दें अपने साथ लाए सामाग्री जैसे- खाने की सामाग्री,पॉलिथीन, तम्बाकू के कागज़, बिस्कुट के कागज़ आदि सामाग्री को अपने साथ लेकर जाइए यहाँ न फेके ।
धन्यवाद