यमुनोत्री yamunotri

गंगोत्री

उत्‍तराखण्‍ड की पावन यात्रा यमुनोत्री से ही प्रारम्‍भ होती है। यमुनोत्री के चारों ओर फैली धवल शिखरावली यात्रियों को मंत्रमुग्‍ध कर देती है। यहां का दृश्‍य अत्‍यंन्‍त मनोहर और रमणीक है। चारों ओर हिमच्‍छादित पर्वत मालाएं, चीड के हरित वन, नीचे कल-कल करती कालिदीं का शीतल धारा मन को मोह लेती है। यमुनोत्री के पास यमुना की धारा उत्‍तरवाहिनी हो जाती है इसलिए इसे यमुनोत्री कहां गया है। इसका प्राकृतिक सौंदर्य वर्णनातीत है, इस सौंदर्य की अनुभूति प्रत्‍यक्षदर्शी ही कर सकता है यहां का सौंदर्य अवर्णनीय है। उत्‍तरकाशी जिले में स्थित यह पवित्र स्‍थान गंगोत्री से ठीक पश्चिम तथा उत्‍तरकाशी से 131 किमी उत्‍तर में स्थित है। यह चार धाम यात्रा का प‍हला धाम है। बंदरपूंछ चोटी बर्फ की झील एवं घाटी यमुना का उद्धगम स्‍थल है। य‍हां पहुचंने के लिए सियाना चटटी, राना चटटी और हनुमान चटटी से 13 किमी की पैदल दूरी तय करनी पडती है। इस मार्ग पर घोडे और डांडी कांठी की सुविधा भी उपलब्‍ध है। यमुना को यमराज की जुडवा बहन भी कहा जाता है। हिन्‍दु धर्म में यमुनोत्री का विशेष स्‍थान है इसे अतिस मुनी की तपस्‍थली भी कहा जाता है । यमुना को सूर्य की पुत्री भी कहा गया है। यमुना के बांये तट पर स्थित यमुनोत्री का निर्माण 1919 में गढवाल के नरेश प्रतापशाह ने तथा पुनर्निर्माण जयपुर की महारानी ने करायी थी।

यमुनोत्री,yamunotri
यमुनोत्री

मंदिर के कपाट खुलने व बंद होने का समय :-  

 
यमुनोत्री धाम के कपाट ग्रीष्‍मकाल में प्रतिवर्ष बैशाख शुक्‍ल की तृतीया को खोले जाते हैं। इसी दिन मॉ यमुना की डोली खरसाली गांव से यमुनोत्री धाम पहुंचती है, जहां वैदिक मंत्रोचारण के साथ मॉ यमुना की पुनर्स्‍थान होती है और शीतकाल में ठंड व बर्फ गिरने के कारण यमुनोत्री के कपाट बंद हो जाते हैं  । 
2.खरसाली गांव यमुनोत्री से 6 किमी की दूरी पर है ज‍हां सोमेश्वेर देवालय है।खरसाली गांव के पंडित ही यमुनोत्री में पूजा – अर्चना का कार्य करते हैं ।
 
सूर्य कुण्‍ड :-
 
यमुनोत्री मंदिर के निकट तीन गर्म जल स्‍श्रोत है।,जिनमें से सबसे म‍हत्‍वपूर्ण सूर्य कुण्‍ड है। इस कुण्‍ड में आलू, चावल आदि डालने पर पक जाता, जिसे लोग प्रसाद के रूप में तीर्थ यात्रियों को ग्रहण करने के लिए दिया जाता  है ऐसा माना जाता है कि इस गर्म जल के में स्‍नान करने से सभी चर्म रोग दूर हो जाते है
यमुनोत्री,yamunotri dham
 यमुनोत्री मंदिर
1
.मुनोत्री से 16 किमी की दूरी पर सप्‍तऋषि कुण्‍ड है ।
 2.यमुना का उघ्‍द्धगम स्‍थल अर्थात बंदरपुच्‍छ यमुनोत्री मंदिर से एक किमी दूर है। बंदरपुच्‍छ तीन शिखरों (श्रीकंड,बंदरपुच्‍छ एवं यमुनोत्री कांठा ) का एक सामूहिक नाम है ,जिसे प्राचीन काल में कालिन्‍दी पर्वत कहा जाता था शायद इसी कारण यमुना का एक नाम कालिन्‍दी भी पडा ।
3.पौराणिक दृश्टि से कालिन्‍दी (यमुना ) को सूर्य पुत्री , शनि एवं यम की ब‍हन त‍था कृष्‍ण की एक पटरानी भी कहा जाता है ।
 
डोडीताल :-
 
 जनपद उत्‍तरकाशी के उत्‍तर दिशा में स्थित डोडीताल 3024 मीटर पर स्थित है। देवदार , बांज के  जंगलों के बीच स्थित डोडीताल का पानी पारदर्शी दिखाई देता है। झील में मछलियों की भरमार है। यहां की सबसे प्रसिद्ध मछली हिमालय गोल्‍डन ट्राट है। हनुमान चटटी से दारवा चोटी  चढते हुए डोडीतात का ट्रेट दो दिन का है 
 
गोविन्‍द अभ्‍यारण एवं हर की दून घाटी :-
 
इस सुंदर अभ्‍यारण की स्‍थापना 1955 में हुई थी । यह 953 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है तथा कई प्रमुख पर्वत शिखर जैसे स्‍वर्ग रोहिणी , ब्‍लेक पिक , बंदरपूच्‍छ आदि यहां स्थित है । यहां भालू तेंदुआ ,स्‍नोलेपर्ड , कस्‍तुरी मृग आदि वन्‍य जीव तथा कई प्रकार के पक्षी भी देखे जा सकते है । हर की दून घाटी प्राकृतिक सुंदरता एवं ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध है ।
 
कैसे पहुंचे :-
1.वायु मार्ग :-
 उत्‍तरकाशी से निकटतम हवाई अडडा जौलीग्राट ऋषिकेश से 18 किमी की दूरी पर है ।
 
2.रेल मार्ग :-
 निकटतम रेलवे स्‍टेशन ऋषिकेश 250 किमी दूरी पर है ।
 
3.सडक मार्ग :-
 सडक मार्ग से धरासू से जाता है यहा गर्मीयों में भी बहुत ठंड होने के कारण गर्म कपडो की जरूरत होती है। सडक मार्ग से देहरादून,हरिद्धार और सभी नगरों से जुडा हुआ है।
                                                             धन्यवाद

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