अभिवृद्धि का अर्थ
अभिवृद्धि शब्द का प्रयोग परिमाणात्मक परिवर्तनों जैसे – बच्चे के बड़े होने के साथ उसके आकार,लम्बाई, ऊंचाई, इत्यादि के लिए होता है
व्यक्ति की शैशव अवस्था से प्रोढ़ अवस्था तक शरीर के विभिन्न अंगों के आकार में परिवर्तन के साथ-साथ शरीर की लंबाई चौड़ाई तथा भार ही परिवर्तित होता रहता है। व्यक्ति के शरीर की रचना में परिवर्तन होने का सर्व प्रमुख कारण बाह्य वातावरण से अंतः क्रिया करना है। व्यक्ति के शरीर की कोशिकाओं का निर्माण एवं विघटन, सामाजिक वातावरण, भोजन तथा जलवायु आदि के प्रभाव स्वरूप होता रहता है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति के शरीर में कमी लंबाई चौड़ाई एवं भार में वृद्धि होती है। तो कभी उनका विघटन होता है व्यक्ति की शारीरिक वृद्धि को मापा जा सकता है। अतः वृद्ध व्यक्ति के शरीर से संबंधित होती है। यदि पूर्व की अपेक्षा व्यक्ति के शरीर की लंबाई चौड़ाई एवं भार में वृद्धि होती है तो कभी उसका भी गठन होता है।व्यक्ति की शारीरिक वृद्धि को मापा जा सकता है। अतः वृद्धि व्यक्ति के शरीर से संबंधित होती है यदि पूर्व की अपेक्षा व्यक्ति के शरीर की लंबाई, चौड़ाई, एवं भार में थोड़ी सी भी बढ़ोतरी होती है तो उसे आम वृद्धि कहा जा सकता है। सोरेनसन के शब्दों में “अभिवृद्धि से आशय शरीर तथा शारीरिक अंगों में भार तथा आकार की दृष्टि से वृद्धि होना है, ऐसी वृद्धि जिसका मापन संभव हो।”
अभिवृत्ति बालक की शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जिसमें बालक के हाथ, पैर, सर, हड्डियों, लंबाई – चौड़ाई आदि संपूर्ण शारीरिक बनावट का अध्ययन किया जाता है अभिवृद्धि बालक के गर्भावस्था से प्रारंभ होती है और एक निश्चित समय आने पर यह प्रक्रिया रुक जाती है। अभिवृद्धि का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत किया जाता है। अभिवृद्धि विकास की भांति बालक के माता-पिता हुआ पारिवारिक वंशानुक्रम के आधार पर भी चलती है इस पर बालक के वंशानुक्रम का प्रभाव देखने को मिलता है। प्रकार बालक की माता पिता आज का शारीरिक ढांचा जैसे- लंबाई-चौड़ाई, आकार, कद-काठी होगा उसी प्रकार के गुण बालक के शारीरिक अभिवृद्धि में नजर आते हैं
अभिवृद्धि की परिभाषा
फ्रैंक (Frank) के शब्दों में,
” अभिवृद्धि से तात्पर्य कोशिकाओं में होने वाली वृद्धि से होता है जैसे लंबाई और भार में वृद्धि।”
मुनरो (Munro)के शब्दों में,
“अभिवृद्धि से तात्पर्य शरीर आकार और भार में पाई जाने वाली वृद्धि अर्थात बालक की शारीरिक लंबाई, चौड़ाई और भार की वृद्धि से होता है।”
अभिवृत्ति की विशेषताएं (Characteristics of Growth)
1- अभिवृत्ति एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
2- अभिवृद्धि का संबंध केवल सजीव या मूर्त जीवों या वनस्पतियों से ही है।
3- अभिवृद्धि विकास को प्रभावित करती है।
4- अभिवृद्धि की एक निश्चित सीमा है
5- अभिवृत्ति की प्रक्रिया गर्भावस्था से अठारह-बीस वर्ष की आयु तक चलती है।
6- अभिवृद्धि में मनुष्य के शरीर के आकार भार व कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।जो सामान्य तो अठारह-बीस वर्ष की आयु तक लगभग पूर्ण हो जाती है।
7- सभी अंगों की वृद्धि समान रूप से नहीं होती।
8- भिन्न-भिन्न आयु स्तर पर अभी वृद्धि की गति भिन्न-भिन्न होती है।
9- अभिवृद्धि मात्रात्मक होती है इसका मापन गणितीय विधियों से किया जा सकता है।
10- अभिवृद्धि बालक की वंशानुक्रम और पर्यावरण, दोनों पर निर्भर होती है।
11.अभिवृद्वि बालक के खान-पान पौषण स्तर पर भी निर्भर होती है।
अभिवृद्धि और विकास में अंतर (Differences Between Growth and Development
अभिवृद्धि और विकास के सिद्धांत
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