Environmental concepts || पर्यावरणीय संकल्पनाएँ
पर्यावरणीय संकल्पनाएँ (Environmental concepts) : अभी तक उपरोक्त तथ्यों से पर्यावरण के विभिन्न लक्षणों से जानकारी प्राप्त करने के उपरांत पर्यावरण की विभिन्न संकल्पनाओं को जानना लाभकारी होगा। इन संकल्पनाओं में पर्यावरणीय लक्षणों का समावेश है।
Environmental concepts पर्यावरण तथा जीवों से संबंधित संकल्पनाएँ हैं:
1. समस्त जीव उनके पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील (sensitive) होते हैं :
कोई भी जीव पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया (Response) हेतु आवश्यक क्रियाविधि (Mechanism) या साधनों के बिना अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता है। सब द्रवजीवी इकाइयों (Protoplasmic units) कि यहां एक आधारभूत (Basic) प्रतिक्रिया होती है। विशिष्टीकरण (Specificity) तथा श्रम विभाजन (Division of labour) की प्रक्रिया (Mechanism) में फलस्वरूप प्रत्येक जीव में ऐसे संवेदी अंग (Sensory Organs) होते हैं, जो पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति विशेष रूप में संवेदनशील होते हैं । किसी भी प्राणी की अधिकांश गतिविधियां, अनुकूल परिस्थितिक पर्यावरण खोजने तथा अप्रिय उद्दीपनों (stimulations) से बचने के उद्देश्य से संबंधित होती है।
2. समस्त जीव किसी न किसी रूप में पर्यावरण के प्रति अनुकूलित (adapted) होते हैं :
किसी भी जीव को जीवित रखने के लिए पर्यावरण द्वारा निर्मित परिस्थितियों के अनुकूलित (Adapted) होना आवश्यक होता है। कोई ऐसे सार्वत्रिक अनुकूलन (universal adaptation) नहीं हैं जिनसे कोई जीव विशेष प्रकार की परिस्थितियों के प्रति अनुकूलित हो सके। अनुकूलन हमेशा परिस्थिति विशेष हेतु होने वाले विशेष समायोजन (Adjustments) हैं। कुछ जंतु पर्यावरण विशेष के प्रति अन्य जंतुओं की अपेक्षा अधिक भली प्रकार समायोजित रहते हैं। अधिकांश जंतु अपने अनुकूल स्थिति संबंधों की विशिष्टता ले चुके हैं। इस कारण वे जितनी अधिक पूर्णता से एक पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होते हैं, उतनी ही उनकी दूसरे प्रकार के पर्यावरण में समायोजन क्षमता(adjustment capacity) कम हो जाती है। वंशानुगत अनुकूलन या तो वंशागत होते हैं अथवा उपार्जित (Acquired) होते हैं। वंशागत अनुकूलन जन्मजात होते हैं।
उदाहरणार्थ : संवेदनग्राही अंक (sense organs) जबकि उपार्जित अनुकूलन कुछ निश्चित उद्दीपनों (certain stimuli) के प्रति अनुक्रिया से उत्पन्न होती हैं। उदाहरणार्थ : किसी रोग विशेष के विरुद्ध शरीर में प्रतिरक्षियों का निर्माण।
Definition of Environment || पर्यावरण की परिभाषा
3. समस्त जीव में पर्यावरणीय परिवर्तनों के समायोजन की थोड़ी बहुत क्षमता आवश्यक होती है :
यह यथार्थ में ” दशानुकूलन का सिद्धांत है ” जिसका तात्पर्य उस प्रक्रिया से होता है जिसके द्वारा कोई जीव अपने जीवन चक्र (life cycle) की सीमा में उन परिस्थितियों का अभ्यस्त होने में सक्षम होता है जो सामान्यतः उसे हानि या चोट पहुंचा सकती है,
उदाहरणार्थ : ताप, शीत, जलमाध्यम की लवणीय (Salinity), ऑक्सीजन-दबाव,विषो (Toxins) तथा अन्य अनेक कारकों की चरम अवस्थाएं। यह प्रक्रिया उन समायोजनों से भिन्न होती हैं जो कि अनेकानेक पीढ़ियों (Generations) के पश्चात उत्पन्न होते हैं,
उदाहरणार्थ : उत्परिवर्तनीय जीन (Mutant gene) का इकट्ठा होना, जोकि किसी जीव के नये समायोजन में एक लंबे समय तक सहयोग देता है। दशाअनुकूलन (Acclimatization) का अर्थ सामान्य तथा तीव्र समायोजनों से भी है जो कि कार्यिकीयअंगों में उनकी सामान्य क्रियाशीलता कि मध्य उत्पन्न होते हैं। उदाहरणार्थ : धुंधली प्रकाश या तीव्र प्रकाश में समायोजन की क्षमता अथवा अंतरात्मक संवेदनशीलता (Differential Sensitivity) को पहचानने की क्षमता।
4. समस्त जीव परस्पर तथा अपने पर्यावरण के साथ योजनाबद्ध रूप में जोड़ें हुए हैं :
कोई भी जी अपने पर्यावरण के विलग (Isolated) जीवनयापन नहीं कर सकता है। समस्त प्राणी पर्यावरणीय बलों द्वारा प्रभावित होती हैं। पर यह परस्पर संबंध अन्योन्य प्रकृति के होते हैं जिनमें जीव भी अपने पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। पर्यावरण के कारक दो प्रकार के होते हैं –
जैविक तथा भौतिक। जैविक कारकों के अंतर्गत प्राणी विशेष तथा उसके परास के अन्य प्राणियों के परस्पर संबंधों का समावेशन रहता है। भौतिक कारकों के अंतर्गत तापमान, आर्द्रता, मृदा, वायु, प्रकाश तथा अनेक भौतिक बलों का समावेशन होता है। जैविक कारक एक ही जाति या विभिन्न जातियों के सदस्यों पर प्रभाव डालने वाले हो सकते हैं। इन दोनों समूह के परस्पर संबंध भी भिन्न होते हैं। क्योंकि एक ही जाति के सदस्यों में भोजन, आवास तथा जनन की आवश्यकता समान होने से प्रतिस्पर्धा होती है, जबकि विभिन्न जातियों के सदस्यों की समस्याएं – भोजन श्रृंखला, समष्टि का दबाव तथा अन्य सामान्य सामुदायिक संबंधों से जुड़ी होती हैं। इन सभी पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव से एक प्राकृतिक संतुलन स्थापित हो जाता है।