importantance of environment || पर्यावरण की महत्ता
पर्यावरण की महत्ता (Importantance of Environment) : पर्यावरण जीवों के जीवन का आधार है यदि इसमें असंतुलन उत्पन्न हो जाए तो जीवों के जीवन पर संकट आ जाएगा। अर्थात् पर्यावरण संतुलन जीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पर्यावरण के कारकों का जीवों पर तथा जीवों की क्रियाविधियों का पर्यावरण पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जब तक इन दोनों की क्रियाविधियों में सामंजस्य उत्पन्न नहीं होगा तब तक जीवों के लिए अनुकूल पर्यावरण उत्पन्न नहीं होगा तथा जीव उस पर्यावरण में अपने अस्तित्व को खो देंगे। जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए पर्यावरण की गुणवत्ता को बनाए रखना अतिआवश्यक है। यह तभी संभव है जब हम पर्यावरण को नजर अंदाज न करके उसकी महत्ता को समझें व उसे स्वीकार करें, तथा उसे स्वच्छ बनाने के लिए प्रयासरत रहें।
पर्यावरण अध्ययन का क्षेत्र इतना विस्तृत है कि लगभग समस्त विषय इसके अंतर्गत आ जाते हैं। इसके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इससे कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है।
Environmental concepts || पर्यावरणीय संकल्पनाएँ
पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए इतना ही बहुत है कि इसका कोई एक छोटा सा घटक भी यदि कम या ज्यादा हो जाता है तो जीवन संकटमय बन जाता है ।
उदाहरणार्थ : वातावरण में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की कमी से वनस्पति तथा पादपों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा वे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन नहीं बना पाते हैं, तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड की अधिकता के कारण विश्व तापीयता (Global Warming) की समस्या उत्पन्न हो जाती है। पर्यावरण में सूक्ष्म मात्रा में पाया जाने वाला आयोडीन तत्व, जिसकी कमी से गलगण्ड (Goiter) रोग हो जाता है ।
अर्थात्, जिसके होने या न होने से हमारे जीवन का भविष्य निर्धारित हो उसके महत्व को शीघ्रतापूर्वक मान लेना चाहिए तथा उसके साथ कोई खिलवाड़ नहीं करना चाहिए, अन्यथा दु:खद परिणाम हमें ही भोगना होगा।
जनचेतना की आवश्यकता (Need for Public Awareness) :
पूर्वोक्त विवरण से “पर्यावरण शिक्षा (Environmental Education)” के महत्व और उसकी आवश्यकता के संदर्भ में कुछ जानकारी अवश्य मिलती है पर वह बहुत स्पष्ट नहीं है। अनेक बिंदुओं की एक लंबी सूची, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सम्मेलन तथा कार्य गोष्ठियों की प्रतिवेदनों के आधार पर बनाई जा सकती है, पर उतने विवरण को यहाँ प्रस्तुत करने का कोई विशेष औचित्य नहीं है। एक व्यापार और सर्वसम्मत तथा संक्षिप्त समेकित विवरण पाठकों को ‘पर्यावरण शिक्षा (Environmental Education)’ के महत्व को प्रतिपादित करने हेतु यथेष्ट होगा, वह है :
Definition of Environment || पर्यावरण की परिभाषा
1. सौरमंडल में मात्र ‘पृथ्वी’ ही ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है इसे नष्ट होने से बचाना है तथा उस पर बसने वाले प्राणी मात्र को सुखप्रद जीवन उपलब्ध कराना है।
2. जनसंख्या में जिस गति से वृद्धि प्रतिवर्ष हो रही है उससे सारा प्रकृति-चक्र गड़बड़ा गया है। प्रकृति को पुन: संतुलित करने तथा भावी पीढ़ियों को विरासत में सुंदर और व्यवस्थित भविष्य छोड़ने हेतु जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है।
3. प्रकृति में संसाधनों के विशाल भंडार भी अनंतत: सीमित ही हैं। उनका उचित और बुद्धिमतापूर्ण उपयोग हो यह लोगों को सिखाना है और प्रत्येक पृथ्वी निवासी मनुष्य के मानस में बिठाना है।
4. पेड़ और वनस्पति ही केवल कार्बन-डाई-ऑक्साइड (CO2) को प्राण वायु ऑक्सीजन (O2) में परिवर्तित कर सकते हैं। अतः वायुमंडल में ऑक्सीजन की आवश्यक मात्रा बनाये रखने तथा CO2 की वृद्धि से होने वाली पर्यावरणीय विकृतियों से अवगत कराने हेतु व्यक्तियों को ‘करने’ अथवा न’ करने’ (do’s or do not’s) की बातें बतानी हैं।
5. औद्योगिक क्रांति तथा वैज्ञानिक उपलब्धियों के फलस्वरूप सुख-सुविधाओं के उपकरणों ने चारों ओर विविध प्रकार का प्रदूषण फैलाया है, उसे नियंत्रित करना तथा बचाव के उपाय सुझाने हेतु कार्यक्रम चलाना है।
यह सभी ‘पर्यावरण शिक्षा (Environmental Education) से ही संभव है, अतः पर्यावरण जन चेतना (Environmental public Awareness) इस समय की एक महती ‘आवश्यकता’ है।